कोल इण्डिया लिमिटेड का इतिहास एवं गठन
इतिहास
कोल इण्डिया लिमिटेड का इतिहास एवं गठन
भारतीय स्वतंत्रता के प्रभात काल से पहली पंचवर्षीय योजना में ही कोयला उत्पादन की काफी आवश्यकता महसूस की जाने लगी । 1951 में कोयला उद्योग के लिए कार्यकारी दल की स्थापना की गई थी जिसमें कोयला उद्योग, श्रमिक संघ के प्रतिनिधियों और सरकार के प्रतिनिधि शामिल किये गये थे । इसने लघु और विभाजित उत्पादन इकाइयों के एकीकरण का सुझाव दिया । इस प्रकार एक राष्ट्रीयकृत एकीकृत कोयला क्षेत्र का विचार पैदा हुआ । कोयला खनन में एकीकृत समग्र योजना आजादी के बाद, एक आवश्यक घटना है । नये कोयला क्षेत्रों की खोज और नई कोयला खदानों के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से 11 कोयला खदानों को मिलाकर नेशनल कोल डेवलॅपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया गया ।
भारत में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के लिए कारक
भारत में कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण 70 के प्रारंभिक दशक में 2 संबद्ध घटनाओं का परिणाम है । पहले उदाहरण में तेल की कीमत का सदमा, जिसने देश को अपनी ऊर्जा विकल्पों की खोज करने के लिए बाध्य कर दिया था । इस उद्देश्य के लिए एक ईंधन नीति समिति का गठन किया गया जिसने वाणिज्यिक ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में कोयले की पहचान की । दूसरे, इस क्षेत्र के विकास के लिए काफी निवेश की आवश्यकता थी जो कोयला खनन से आ नहीं सकता था क्योंकि यह अधिकांश निजी क्षेत्र के हाथों में था । श्री मोहन कुमारमंगलम द्वारा राष्ट्रीयकरण की संकल्पना का उद्देश्या - देश के दुर्लभ कोयला संसाधन विशेषकर कोकिंग कोयले का संरक्षण निम्नांकित द्वारा करना था :-
- अपव्ययी, चयनात्मक और विध्वंसक खनन को रोकना |
- उपलब्ध कोयला संसाधनों का सुनियोजित विकास करना |
- सुरक्षा मानकों में सुधार लाभ |
- अधिकतम उपयोग हेतु विकास की जरूरत के अनुरूप निरंतर पर्याप्त निवेश सुनिश्चित करना |
- कामगारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार |
कोल इण्डिया लिमिटेड का गठन
सरकार की राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के तहत भारत की कोयला खानों को 1970 के दशक में दो चरणों में पूर्ण रूप से राष्ट्रीय नियंत्रण में लिया गया । कोकिंग कोयला खान (आपातकाल प्रावधान) अधिनियम 1971 सरकार द्वारा 16 अक्तूबर 1971 को लागू किया गया जिसके तहत, इस्को, टिस्को, और डीवीसी के कैप्टिव खानों के अलावा भारत सरकार ने सभी 226 कोकिंग कोयला खानों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और उसे 1 मई, 1972 को राष्ट्रीयकृत कर दिया । इस प्रकार भारत कोकिंग कोल लिमिटेड बना था । इसके अलावा 31 जनवरी 1973 को कोयला खान (प्रबंधन का हस्तांतरण) अध्यादेश – 1973 लागू कर केन्द्रीय सरकार ने सभी 711 नान-कोकिंग कोयला खानों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया । राष्ट्रीयकरण के अगले चरण में 1 मई 1973 से इन खानों को राष्ट्रीयकृत किया गया और इन नॉन- कोकिंग खानों का प्रबंधन करने के लिए एक सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड (CMAL) नामक कंपनी का गठन किया गया था ।
दोनों कंपनियों का प्रबंधन करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड के रूप में एक औपचारिक नियंत्रक कंपनी का गठन नवम्बर 1975 में किया गया ।
प्रमुख ऐतिहासिक घटनाऍं
2011-12 |
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2010-11 |
2011-12 के लिए वर्तमान समझौता ज्ञापन के तहत अनुसंधान एवं विकास, निगमित सामाजिक दायित्व, सतत विकास पर विशेष जोर दिया गया और निगमित प्रशासन को प्रमुख विश्वसनीय क्षेत्र बनाया गया । ऑफ-टेक का लक्ष्य पूरा करने के लिए सीआईएल ने विगत वर्ष के दौरान प्रतिदिन उपलब्ध औसतन 156.8 रैक और वर्तमान वर्ष में प्रतिदिन उपलब्ध 161.9 रैक के स्थान पर 2011-12 के लिए प्रतिदिन 175 रैक की मांग की है । पिछले 3 वर्षों के दौरान रेल के माध्यम से कोयला ढुलाई की औसतन वृद्धि केवल 2% के आसपास है जबकि सीआईएल द्वारा उपर्युक्त लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रेल के माध्यम से 13.5 फीसदी से अधिक की वृद्धि की परिकल्पना की गई है । सीआईएल अनुसंधान एवं विकास की गतिविधियों पर 2009-10 के करीब 15 करोड़ रुपये वार्षिक से 30 करोड़ रुपये पिछले साल (2010-11) व्यय कर एक लंबी छलांग लगाई है । डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुसार सीआईएल ने सीएसआर गतिविधियों पर व्यय के अपने लक्ष्य को भी बढ़ा दिया है । |
2009-10 | स्टेण्डिंग कॉफरेंस ऑप पब्लिक इंटरप्राइजेज द्वारा हमारी कंपनी को वर्ष 2007-08 के लिए स्कोप एक्सिलेंस पुरस्कार दिया गया । मोजाम्बिक में कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा नामक एक विदेशी अनुषंगी कंपनी की स्थापना | हमारी कंपनी का एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में रूपांतरण । सीएमपीडीआईएल को सार्वजनिक उपक्रम विभाग, भारत सरकार द्वारा 'मिनी रत्न' का दर्जा दिया जाना । लोक उद्यम विभाग, भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007-2008 में हमारी कंपनी को समग्र स्कोर 1.47 और "उत्कृष्ट" रेटिंग दिया गया । |
2008-09 | सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार द्वारा हमारी कंपनी को हमारे परिचालन क्षमता और वित्तीय ताकत के लिए 'नवरत्न' का दर्जा दिया गया जिससे अधिक से अधिक परिचालन संबंधी निर्णय लेने में स्वतंत्रता और स्वायत्तता मिल सका । हमारी कंपनी और हमारी अनुषंगियों द्वारा समग्र उत्पादन 400 मिलियन को पार कर गया । |
2007-08 | सीसीएल को सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार द्वारा 'मिनी रत्न' का दर्जा दिया गया । |
2006-07 | हमारी कंपनियों- एमसीएल, एनसीएल, एसईसीएल एवं डब्युसीएल को सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार द्वारा 'मिनी रत्न' का दर्जा दिया गया । कर्ज के निबल मूल्य में 2001-2002 के 66% से 2006-2007 में 10% की गिरावट आई । |
2005-06 | हमारी कंपनी के 250 मिलियन बॉण्ड कार्यक्रम में ब्याज और मूलधन के समय पर भुगतान करने के लिए क्रिसिल द्वारा 'एएए / स्थिर' रेटिंग प्रदान किया जाना सुरक्षा के उच्चतम डिग्री को दर्शाता है । कोयले की बिक्री ई-ऑक्शन पद्धति द्वारा प्रारंभ किया जाना वित्तीय वर्ष 2006 में ईसीएल और बीसीसीएल को 3,638 मिलियन और 2,026.67 मिलियन रुपये का लाभ हुआ |
2003-04 | हमारी कंपनी और अनुषंगियों द्वारा कोयले का कुल उत्पादन 300 मिलियन टन को पार कर गया । |
2001-02 | परियोजना के विकास के लिए आवश्यक 85% की क्षमता उपयोग पर न्यूनतम वापसी की आंतरिक दर में 12% की कमी कर दी गई है । |
1997-98 | हमारी कंपनी और अनुषंगियों के बीच वित्तीय प्रवाह का निगमीकरण जिससे लागू नीति के तहत हमारी कंपनी को अनुषंगियों से केवल लाभांश प्राप्त होता रहे और हमारी कंपनी की निधि का उपयोग घाटे वाली कंपनियों को नीतिगत समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ उत्पादक पूँजीगत परिसम्पत्तियों को बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता था । उपकरणों की वैश्विक सोर्सिंग जिसमें वित्तीय वर्ष 1998 से 2004 की अवधि के दौरान 484.40 मिलियन अमरिकी डॉलर उपयोग करने के साथ 24 उच्च क्षमता वाली परियोजनाओं को लागू करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के रूप में विश्व बैंक और जापानी बैंक से 1.03 अरब अमरीकी डालर के ऋण की स्वीकृति मिली । |
1996-97 | हमारी कंपनी द्वारा जारी 4,००० मिलियन बांड के संबंध में ब्याज और मूलधन के रुपये समय पर भुगतान करने पर क्रिसिल द्वारा 'ए +' रेटिंग दिया जाना पर्याप्त सुरक्षा का संकेत है । कोयला विकास परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए आधार के रूप में वित्तीय व्यवहार्यता को ग्रहण करना । प्रतिधारण कीमत योजना और कुछ ग्रेड के कोयले की कीमतों में ढील के साथ कोयला मूल्य नियमन खाता (CPRA) की समाप्ति । |
1995-96 | सरकार द्वारा वित्तीय पुनर्गठन पैकेज का अनुमोदन जिसके द्वारा देय ब्याज के 8,917 लाख रुपये माफ किये गये थे, योजना ऋण चुकौती बकाया के 9,041.8 लाख रुपए प्रीफरेंस इक्विटी में तबदील कर दिये गये थे और 4,326.4 लाख रुपये गैर योजना भुगतान बकाया की चुकौती हेतु पुनर्भुगतान के लिए श्रृणस्थगन की मंजूरी और तीन वर्ष की अवधि के लिए प्रोद्भवन(एक्रूअल) ब्याज तीन बराबर किश्तों में चुकाये जाने की अनुमति दी गई । वित्तींय वर्ष 1996 में हमारी कंपनी ने 7,116 मिलियन रुपये का लाभ अर्जित किया । |
1992-93 | उड़ीसा राज्य में तालचर और ई-वैली खदानों के प्रबंधन के लिए एम.सी.एल. का हमारी अनुषंगी के रूप में गठन किया गया । |
1991-92 | 1991 से लाभ होना शुरू हुआ और हमारी कंपनी ने वित्तीय वर्ष 1992 में 1670 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया । हमारी कंपनी एवं अनुषंगियों द्वारा समग्र रुप से 200 मिलियन टन कोयले के उत्पादन को पार कर गया । ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्रियल कॉस्ट एवं प्राइसेस ("BICP ") द्वारा निर्धारित वृद्धि फार्मूले को अपनाकर एक मानक लागत के आधार पर सामग्री की बढ़ी हुई कीमत की प्रतिपूर्ति हेतु वर्ष में एक बार कोयले का मूल्य निर्धारित किया गया । |
1987-88 | बीसीसीएल के अधीन ईस्ट कतरास खान एवं ईसीएल के अधीन चोपरा खान में ब्लास्टिंग गैलरी पद्धति को लागू किया गया । |
1985-86 | डब्युसीएल और सीसीएल द्वारा प्रबंधित कुछ खानों के प्रबंधन के लिए एनसीएल और एसईसीएल के रूप में अनुषंगी कंपनी की स्थापना की गई । |
1981-82 | 31 मार्च, 1982 को अधिसूचना द्वारा कोलियरी कंट्रोल ऑर्डर, 1945 में संशोधन करके हमारी अनुषंगियों के संबंध में कोयले का रिटेनशन कीमत लागू किया गया । |
1980-81 | पॉंच नई वाशरियों – मुनीडीह वाशरी, रामगढ़ वाशरी, मोहुदा वाशरी, बरोरा वाशरी, केदला वाशरी का निर्माण किया गया हमारी कंपनी एवं अनुषंगियों द्वारा कोयले का कुल उत्पादन 100 मिलियन टन को पार कर गया । |
1979-80 | लघु तापीय कार्बोनाइज्ड संयंत्र का निर्माण डानकुनी कोल कम्पलेक्स में प्रारंभ किया गया । कंपनी "न लाभ न हानि” के आधार पर काम करने के बजाय व्यावसायिक लाइन पर काम कर रही है या नही को सुनिश्चित करने के लिए सीएमपीडीआईएल की कीमत नीति की समीक्षा की गई । |
1975-76 | हमारी कंपनी का नाम बदलकर 'कोल इंडिया लिमिटेड' कर दिया गया । सीएमपीडीआईएल, ईसीएल एवं डब्युसीएल का समावेश किया गया और बीसीसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआईएल, ईसीएल और डब्युसीएल के रूप में हमारी अनुषंगी कंपनी का गठन | |
1973-74 | देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने हेतु कोयला क्षेत्र में उच्च विकास के लिए कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण किया गया । 'कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड' के रूप में हमारी कंपनी के निगमन । |
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