कोल इंडिया के बारे में



 कोल इंडिया के बारे में 

भारतीय ऊर्जा परिदृश्य और कोयला

भारत इस समय दुनिया के शीर्ष तीन तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है । स्‍वभावत: भारत की ऊर्जा जरूरतें भी इसके बढ़ी औद्योगिकरण और बिजली उत्पादन में इसकी अतिरिक्‍त क्षमता वृद्धि के कारण तेजी से बढ़ रही है । यहीं पर 'कोयला' का नाम आता है । भारत में बिजली, स्टील और सीमेंट जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचागत उद्योगों के लिए कोयला महत्वपूर्ण इनपुट है .

  • भारतीय ऊर्जा परिदृश्‍य में कोयला सबसे प्रमुख ऊर्जा स्रोत है ।
  • विश्‍व के 29% की तुलना में भारत में प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा जरूरतों का लगभग 55% कोयला पूरा करता है ।
  • भारत में लगभग 70% बिजली उत्पादन कोयले पर आधारित है ।
  • चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में भारत तीसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है ।
कोल इंडिया लिमिटेड - एक नज़र में

सरकार द्वारा निजी कोयला खानों को अधिग्रहीत करने के साथ कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) राज्य के स्वामित्व वाले एक संगठित कोयला खनन कॉर्पोरेट के रूप में नवंबर 1975 में अस्तित्व में आया । अपनी स्थापना के समय वर्ष में 79 मिलियन टन (एमटी) के मामूली उत्पादन करनेवाला कोल इंडिया लिमिटेड आज दुनिया में अकेले सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है । भारत के 8 प्रांतीय राज्यों में फैले 7 पूर्ण स्वामित्व वाली कोयला उत्पादक अनुषंगी कंपनी के माध्‍यम से 82 खनन क्षेत्रों का संचालन करनेवाला और एक माइन प्लानिंग एवं परामर्शी कंपनी के साथ कोल इंडिया लि. एक शीर्ष निकाय है । सीआईएल मोजाम्बिक में कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा' नामक एक विदेशी कंपनी का मालिक है । सीआईएल वर्कशॉप, अस्‍पताल इत्‍यादि जैसे 200 अन्य प्रतिष्ठानों का भी प्रबंधन करता है । इसके अलावा, यह 26 तकनीकी एवं प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थानों और 102 व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान केन्द्रों का संचालन करता है । भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट प्रशिक्षण संस्थान - भारतीय कोयला प्रबंधन संस्‍थान (आईआईसीएम) कोल इंडिया के अधीन संचालित है और यह अत्याधुनिक प्रबंधन प्रशिक्षण केन्‍द्र 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' है जो बहु-अनुशासनात्मक प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित करता है । 

वित्तीय और अन्य आवश्यक शर्तें पूरा करने के पश्‍चात महारत्न कंपनी के रूप में सीआईएल को अप्रैल 2011 को मान्‍यता दी गयी है । यह उसे अपने को सशक्‍त करने के लिए अपना विस्‍तार करने तथा वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने हेतु अपने संचालन को बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदत्त एक विशेषाधिकार है । अब तक, देश के 290 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से इसके केवल चुनिंदा 7 सदस्य हैं (31/03/2014 तक, स्रोत डीपीई) ।

अतुलनीय सामरिक प्रासंगिकता
  • भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 84% का उत्पादन करता है ।

  • भारत में जहां प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा का लगभग 55% कोयले पर निर्भर है, सीआईएल अकेले प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा की आवश्यकता का 40% पूरा करता है ।

  • भारतीय कोयला बाजार का लगभग 74% नियंत्रित करता है ।

  • भारत में 101 कोयले पर आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में से 98 को आपूर्ति करता है ।

  • उपयोगिता क्षेत्र की कुल ताप विद्युत उत्पादन क्षमता का 76% पूरा करता है ।

  • अंतरराष्ट्रीय कीमतों के लिए रियायती कीमतों पर कोयले की आपूर्ति

  • कीमतों में अस्थिरता की स्थिति में भारतीय कोयला उपभोक्ताओं को बचाना

  • अंत उपयोगकर्ता उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है ।
इस प्रकार, "इंडिया ग्रोथ स्टोरी" में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है ।

कोल इंडिया लिमिटेड का मिशन

कोल इण्डिया लिमिटेड का लक्ष्य सुरक्षा, संरक्षण एवं गुणवत्ता को सम्यक प्रतिष्ठा प्रदान करते हुए दक्षतापूर्वक और मितव्ययिता के साथ पर्यावरण के अनुकूल योजनाबद्ध परिमाण में कोयला एवं कोयला उत्पाद का उत्पादन एवं विपणन करना है ।

कॉरपोरेट संरचना और अनुषंगी कंपनियॉं :

कोल इंडिया पूर्ण स्‍वामित्‍व कोयला उत्‍पादक अनुषंगी कंपनियों और एक माइन प्‍लानिंग एवं परामर्शी कंपनी के साथ एक होल्डिंग कंपनी है । इसमें कोयला भंडार की पहचान, विस्तृत अन्वेषण के पश्‍चात डिजाइन और कार्यान्वयन तथा अपनी खदानों से समुचित कोयले की निकासी की विभिन्‍न पहलुऍं शामिल हैं। उत्पादक कंपनियॉं निम्‍नवत हैं:

  1. ईस्‍टर्न कोलफील्‍ड्स लिमिटेड(ईसीएल), सैंक्‍टोरिया, पश्चिम बंगाल


  2. भारत कोकिंग कोल लिमिटेड(बीसीसीएल), धनबाद, झारखंड


  3. सेंट्रल कोलफील्‍ड्स लिमिटेड (सीसीएल), रॉंची, झारखंड


  4. साउथ ईस्‍टर्न कोलफील्‍ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), बिलासपुर, छत्‍तीसगढ़


  5. नार्दर्न कोलफील्‍ड्स लिमिटेड (एनसीएल), सिंगरौली, मध्‍य प्रदेश


  6. महानदी कोलफील्‍ड्स लिमिटेड (एमसीएल), सम्‍बलपुर, ओड़ीसा


  7. कोल इंडिया अफ्रीकाना लिमिटाडा, मोजाम्बिक


  8. सेन्‍ट्रल माइन प्‍लानिंग एंड डिजाइन इंस्‍टीट्यूट (सीएमपीडीआईएल), परामर्शी कंपनी रॉंची झारखंड में है ।
नार्थ ईस्‍टन कोलफील्‍ड्स (एनईसी) एक छोटा कोयला उत्‍पादक इकाई है जो मर्घेरिटा, असम में सीआईएल के सीधे नियंत्रण में संचालित है । 

उपर्युक्‍त के अलावा, महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) की 03 अनुषंगी कंपनियॉं यथा- (I) एमजेएसआई (MJSJ) कोल लिमिटेड (ii) एमएनएच (MNH) शक्ति लिमिटेड (iii) महानदी बेसिन पावर लिमिटेड और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की 02 अनुषंगी कंपनियॉं यथा- (I) छत्तीसगढ़ पूर्व रेलवे लिमिटेड और (ii) छत्तीसगढ़ पूर्व-पश्चिम रेलवे लिमिटेड हैं । 

कोल इंडिया के प्रमुख उपभोक्‍ता पावर और स्टील सेक्टर हैं । अन्‍य में सीमेंट, उर्वरक, ईंट भट्टों, और लघु उद्योग शामिल हैं ।

उत्‍कृष्‍ट समझौता ज्ञापन : 

पिछले लगातार तीन साल से कोल इंडिया ने मुख्‍य भौतिक और वित्तीय मानकों के कार्यनिष्‍पादन मूल्यांकन के लिए सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन के बीच हुए समझौता (एमओयू) में 'उत्कृष्ट' रेटिंग हासिल किया है ।

उत्‍पादन और वृद्धि 

पहली बार कोल इंडिया 2015-16 में कोयला उठान व उत्पादन - दोनों में आधा अरब टन के निशान की उच्‍चतम सीमा को पार कर गया । 2014-15 में कोयला उत्पादन की 6.9% वृद्धि दर हासिल करने के विरूद्ध, कोल इंडिया ने 2015-16 में कोयला उत्पादन में 9% की वृद्धि हासिल की । सीआईएल का गतिशील डायनेमिक उत्‍पादन साक्षी है कि 2008-09 के 400 मि.ट. से बढ़कर 2015-16 में 538.75 मि.ट. की सीमा तक पहुँच गया है और 2016-17 में 600 मि.टन तक पहुँचने का महत्‍वपकांक्षी लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है । सीआईएल के इस तरह के वृहद उत्‍पादन वृद्धि के कारण ही यह संभव हो पाया है कि कोई भी यूटीलिटी में कोयले का अभाव या गंभीर अभाव नहीं हुआ साथ ही कोयले के आयात में भी कमी आयी थी परिणामस्‍वरूप 2015-16 में विदेशी मुद्रा में पर्याप्‍त बचत हुआ । 

कोल इंडिया लि. की दो अनुषंगी कंपनियॉं यथा- साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड 100 लाख टन कोयला उत्पादक कंपनियों के इलाइट क्लब में हैं। 

विदेशों में संपत्ति अर्जन

कोल इंडिया लिमिटेड देश के ऊर्जा भंडार को बढ़ाने के लिए विदेशों में धातु और उच्च सीवी थर्मल कोयला परिसंपत्तियों के अधिग्रहण की पहल कर रहा है । कोयला ब्लॉक / खानों को अधिग्रहण करने, पता लगाने, विकसित करने तथा संचालित करने और उत्‍पाद का आयात भारत करने के रणनीतिक इरादे हैं ।
इस तरह की श्रेणी के तकनीकी-आर्थिक रूप से निकाले जाने योग्य भंडार की कमी के कारण, देश में घरेलु स्‍त्रोतों से अच्‍छी गुणवत्‍ता वाले थर्मल कोयला के साथ-साथ मेटालर्जिक कोयले की बढ़ती मांग को पूरा करने में वास्‍तव में अपने सर्वश्रेष्‍ठ प्रयासों के बावजूद कोल इंडिया लि. समर्थ नहीं हो पा रहा है । चूंकि कोयले के इस तरह के ग्रेड का आयात अपरिहार्य है, कोल इंडिया, देश की अग्रणी ऊर्जा आपूर्तिकर्ता होने के कारण कोयले की घरेलू दुर्लभ श्रेणी की आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए अपने आप को विदेशी कोयला उत्पादक देशों में स्‍थापित कर रही है ।

इस प्रयोजन के लिए कोल इंडिया ने खानों के संचालन में हिस्‍सेदारी हासिल करने के साथ-साथ अल्‍पकालीन रणनीति के रूप में दीर्घकालीन निकासी का अधिकार तथा मध्‍यम से दीर्घकालीन रणनीति के रूप में ग्रीनफील्‍ड कोयला परिसंपत्ति का अधिकांश अधिकार का अधिग्रहण/कुल खरीद का विकल्‍प तलास रही है । 

पारदर्शिता की पहल
  • पारदर्शी तरीके से किसी भी स्थान से किसी भी उपभोक्ता को कोयला बेचने के लिए ई-नीलामी लागू करना, पारदर्शी तरीके से कोयले की खरीद की सुविधा का विस्तार करने के प्रयास में, कोल इंडिया कोयले की बिक्री के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया में कुछ अतिरिक्त सुविधाऍं लायी हैं । अब, उपभोक्ताओं की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई विण्‍डो उपलब्ध हैं ।
  • स्पॉट ई-नीलामी: खपत और व्यापारिक उद्देश्य से देश में किसी भी भारतीय खरीदार (अर्थात व्यक्ति, साझेदारी फर्म, कंपनियॉं आदि) की जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे उदार मंच ।
  • फॉरवर्ड ई-नीलामी: कोयला उपभोक्‍ताओं को अपनी खपत हेतु खरीद के लिए अग्रिम योजना बनाने के लिए विशेष पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से है ।
  • पावर और गैर बिजली उपभोक्ताओं के लिए विशेष फॉरवर्ड ई-नीलामी: विशिष्‍ट अंत उपभोक्‍ताओं के अलावा बिजली और गैर-बिजली उपभोक्ताओं के लिए खंड विशिष्ट फॉरवर्ड ई-नीलामी का विंडो उन उपभोक्‍ताओं की जरूरत को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है जिसका कैप्टिव कोल ब्लॉक का आबंटन माननीय सर्वोंच्‍च न्यायालय या इकाइयों के आदेश से रद्द कर दिया गया है अन्यथा लिंकेज की अनुपलब्धता के लिए फंसे हुए हैं अथवा डीआईएससीओएम के साथ बिजली खरीद समझौता नहीं होने के कारण ईंधन आपूर्ति समझौता के माध्‍यम से कोयला खरीदने के पात्र नहीं हैं, आदि के लिए ।
  • हाई वैल्यू खरीद में सत्यनिष्ठा समझौते की शुरुआत की
  • महत्वपूर्ण आदानों की खरीद को तेज करने के लिए ई-खरीद शुरू की गई ।
कर्मचारी कल्याण एवं सीएसआर
कारपोरेट मामले के मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के साथ-साथ डी.पी.ई के दिशा निर्देशों के अनुसार कोल इंडिया की सीएसआर नीति तैयार की गयी है जिसमें मोटे तौर पर निम्नलिखित शामिल हैं :
  • समुदाय के लिए बड़े पैमाने पर कल्याणकारी उपाय इस तरह से किये जाते हैं ताकि समाज के गरीब तबके का अधिक-से अधिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके ।
  • नौकरी देने के किसी भी दायित्‍व से बचने के लिए बडे पैमाने पर सामाजिक एवं सांस्‍कृतिक विकास, शिक्षा, प्रशिक्षण प्रदान करना और सामाजिक जागरूकता के माध्‍यम से विशेषकर आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को उनके विकास तथा आय सृजन कर बड़े पैमाने पर समाज के लिए योगदान ।
  • पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण तथा पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखना ।
  • बड़े पैमाने पर मोबाइल औषधालय और कल्याण क्लीनिक चालू करना ।
  • केंद्रीय अस्पतालों में टेली-मेडिसिन की सुविधा लागू करना ।
  • 5835 बिस्तरों वाले 86 पूरी तरह से सुसज्जित अस्पतालों के माध्यम से कर्मचारियों, उनके परिवारों और स्थानीय जनता को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना ।
  • 1220 विशेषज्ञ डाक्टर कार्यरत हैं ।
  • 399 औषधालय हैं और 557 एंबुलेंस चल रही हैं ।
  • कोल इंडिया लि. संचालन क्षेत्रों के दूरस्थ कोनों में लगभग 1.97 करोड़ आबादी को पेय जल उपलब्ध कराता है ।
  • विभिन्न श्रेणियों के 436 स्‍कूलों - परियोजना स्कूल (63); अनुदान पैकेज के साथ निजी तौर पर प्रबंधित स्कूल (284); निजी समिति द्वारा प्रबंधित शैक्षिक संस्थानें (63) और अन्य स्कूलें जहां कभी -कभी अनुदान दिया जाता है (89) - को सहायता देना ।
  • गरीबी रेखा से नीचे के 100 छात्रों के साथ साथ सरकार के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में भू-विस्‍थापितों के 25 वार्डों के लिए 'कोल इंडिया छात्रवृत्ति' योजना की शुरुआत की गयी । छात्रवृत्ति में शिक्षा, छात्रावास और मेस का खर्च शामिल है ।
  • सरकारी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हासिल करने वाले कामगार के बच्चों का पूरा खर्च उठाता है ।
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करके खनन क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले समाज के गरीब और जरूरतमंद तबके सामान्य रूप से इसके अंतर्गत आते हैं ।
  • कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों के संबंध में, सीएसआर गतिविधियों को चलाने के लिए बजट राशि का 80% परियोजना स्‍थल / खानों / क्षेत्रीय मुख्यालयों / कंपनी मुख्‍यालय के 25 किमी के दायरे में खर्च किया जाता है और बजट का 20% वहॉं खर्च किया जाता है जिसमें अनुषंगी कंपनियॉं संचालित हैं ।
  • कोल इंडिया लिमिटेड (मुख्यालय) के संबंध में, सीएसआर मोटे तौर पर अनुषंगी कंपनियों के अधीन क्षेत्रों सहित अखिल भारतीय स्तर पर संपादित किया जाता है ।
  • कंपनी परियोजना प्रभावित लोगों के लिए उसकी आजीविका हेतु निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसे हितधारक बनाकर विकास के मॉडल सहित सामाजिक निरंतरता के माध्यम से 'मानवीयता के साथ खनन' करती है ।
  • पूरी तरह से सुसज्जित कंपनी के अस्‍पतालों में आस-पास के लोगों के लिए चिकित्‍सा सुविधा मुहैया कराती है । मोबाइल डिस्‍पेंशरी एवं टेली-मेडिसीन की सुविधा कर्मचारियों के साथ-साथ आस पास की जनसंख्‍या के लिए भी उपलब्‍ध है ।
पर्यावरण की देख-रेख : 

सीआईएल पर्यावरण संरक्षण में सक्रीय भूमिका निभाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका खनन संचालन पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जा सके । सुव्‍यवस्थित पर्यावरण प्रबंधन योजना और सतत विकास क्रियाओं के माध्‍यम से कोयला खनन का पर्यावरण पर पड़नेवाले प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है । खनन संचालन के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण उपाय किये जाते हैं ताकि पर्यावरण के महत्‍वपूर्ण भौतिक अवयव यथा - वायु, जल, हाइड्रोजियोलॉजी, शोर, भूमि एवं आस-पास की जनसंख्‍या स्‍वीकार्य स्‍तर पर कायम रखा जा सके । 

सड़क, वाशरियों, सी.एच.पी., फीडर ब्रेकर, क्रशर, कोयला स्‍थानान्‍तरण बिंदु एवं कोयला भंडार क्षेत्रों में फैले धूल को शमन करने के लिए उपयुक्‍त जल छिड़काव प्रणाली संस्‍थापित की गयी है । कंवेयर रास्‍ते, स्‍थानांतरण बिंदुओं के साथ बंकर पर मिस्‍ट स्‍प्रे सिस्‍टम लगाये गये हैं । मोबाइल वाटर स्‍प्रींकलिंग खुली खानों के सभी हॉल सड़कों में उपलब्‍ध कराया गया है ऑटोमेटिक स्‍प्रींकलर्स भी कोल हैंडलिंग प्‍लांट में संस्‍थापित किये गये हैं । जबसे ड्रीलिंग एवं ब्‍लास्टिंग खत्‍म हुई है, पारंपरिक पद्धत्ति की तुलना में खनन गतिविधियॉं संचालित करने के लिए सर्फेस माइनर्स, कंटीनुअस माइनर्स, हाई वॉल माइनर्स जो न्‍यूनतम धूल जनित प्रदूषण उत्‍पन्‍न करता है जैसे आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है । सड़क के द्वारा परिवहन के कारण धूल प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण अनुकूल परिवहन के साधन अपनाये जा रहे हैं । रेल द्वारा कोयले का परिवहन/थर्मल पावर स्‍टेशन के लिए बेल्‍ट की ऋंखला एवं सड़क द्वारा परिवहन को कम करने के लिए खान के पास रेल हेड उपलब्‍ध कराने के लिए रेल हेड़स का निर्माण किया जा रहा है । खनन क्षेत्रों के आस-पास वृहत पैमाने पर वृक्षारोपेण, नियंत्रित ब्‍लास्टिंग, वायु और ध्‍वनि प्रदूषण को कम करने के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जाता है ।

खानों, वर्कशॉपों एवं सी.एच.पी.से तेल एवं ग्रीस ट्रैप जैसे निकले कचड़ों के लिए उपयुक्‍त उपचार सुविधा, तालाबों का सेडीमेंटेशन और उपचार किये गये जल के भंडारण की सुविधा तथा इसका पुनर्प्रयोग सभी प्रमुख परियोजनाओं के लिए उपलब्‍ध कराये गये हैं । घरेलु कचड़े से निपटने के लिए घरेलु गंदे पानी के उपचार की सुविधा भी उपलब्‍ध करायी गयी है । खदान परिसर के अंदर के साथ-साथ नजदीकी गॉंवों में भी वारिश के जल को संरक्षित, तालाबों की खुदाई/लैगुन को विकसित कर, विद्यमान तालाबों, टैंको आदि की सफाई के माध्‍यम से भूमिगत जल को पुनर्बहाल किया जा रहा है । 

सांविधिक दिशा-निर्देशों के अनुसार नियमित रूप से प्रदूषण स्‍तर की निगरानी की जा रही है ताकि परियोजनाओं में किये गये प्रदूषण नियंत्रण उपायों की प्रभावकारिता सुनिश्चित किया जा सके । यदि आवश्‍यकता पड़ी तो नियंत्रण निकायों द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर प्रदूषण स्‍तर को रखने के लिए अतिरिक्‍त सुधारात्‍मक उपाय किये जाते हैं । कंटीनुअस एमबियेंट एयर क्‍वालिटी मॉनीटरिंग स्‍टेशन (सीएएक्‍यूएमएस) सीआईएल की बड़ी खानों में स्‍थापित किये गये हैं/किये जा रहे हैं । 

खनन किये गये क्षेत्रों का बायोलॉजिकल पुनरूद्धार हेतु तकनीकी सहायता तथा वाह्य ओवर बर्डन उम्‍प पर इकोलॉजी की बहाली के लिए घरेलु प्रजाति के पौधे लगाये जा रहे हैं । 

व्‍यवहृत भूमि का प्रभावी जैव-पुनरूद्धार के लिए प्रत्‍येक कोलफील्‍ड्स हेतु उपयुक्‍त प्रजाति के पौधे के चयन के लिए वैज्ञानिक अध्‍ययन कराया जा रहा है और घास से झाड़ी, पौधे के पुनरूद्धार के सतत क्रम हेतु 3 स्‍तरीय वृक्षारोपण को अपनाया गया है । 

'क्लीन एंड ग्रीन' कार्यक्रम के रूप में सीआईएल द्वारा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया है और पुनरूद्धारित भरे क्षेत्रों और बाहरी ओवर बर्डेन डंप क्षेत्रों, खानों के आस-पास, सड़क किनारे, टाउनशिप/आवासीय क्षेत्रों, उपलब्‍ध खाली क्षेत्रों में वृक्षारोपण किये जा रहे हैं और वनस्पति व जीव के संरक्षण के लिए संरक्षण योजना का कार्यान्वयन किया जाता है । सीआईएल की अनुषंगी कंपनियों द्वारा मार्च 2016 तक 36896.26 हेक्‍टेयर से अधिक क्षेत्रों पर लगभग 92.35 पौधे लगाये गये हैं जिसमें 2015-16 के 719 हेक्‍टेयर में 1.68 लाख लगाये गये पौधे शामिल हैं । 

पर्यावरण शमन उपायों को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कोल इंडिया ने भूमि सुधार और सभी खुली खदान परियोजनाओं की पुनरूद्धार पर नजर रखने के लिए अत्याधुनिक उपग्रह निगरानी चालू की है । 

सीआईएल ने गुणवत्‍ता प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ 9001) के साथ पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली (14001 आईएसओ) का एकीकरण प्रारंभ कर दिया है और अभी तक पूरी दो कंपनियों (एनसीएल और एमसीएल) और 29 इकाइयों के लिए आईएसओ 14001 तथा 03 पूरी अनुषंगियों (एनसीएल, एमसीएल एवं सीएमपीडीआई) एवं 57 इकाइयों के लिए आईएसओ 9001 प्रमाण पत्र सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है । इस एकीकरण को चरणबद्ध तरीके से सभी खानों के लिए बढ़ाया जा रहा है ।









Comments

Popular posts from this blog

MULTIPLE CHOICE QUESTIONS FOR NON EXECUTIVES TO EXECUTIVE EXAMINATION IN CIL

CODE OF PRACTICES/ SAFE OPERATING PROCEDURE for Dumper/tipper,Dump,Dozer,Shovel,Drill,Surface Miner,Traffic

Electrical Safety in Hindi.