कोल इंडिया में मेरे अनुभव जसविंदर पाल सिंह निदेशक (संचालन) , एमसीएल मैं बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौकीन रहा हूँ । कोल उद्योग में चार दशकों के अनुभवों में मैंने यही सीखा कि किसी भी उपक्रम की उत्पादकता तथा अंदुरुनी स्वास्थ्य उसमें कार्यरत लोगों की स्वेच्छा एवं अंत : प्रेरणा पर निर्भर करता है। किसी भी उपक्रम को अगर आप सभी संसाधन उपलब्ध भी करवा दें और अगर मानव संसाधन विकसित एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में नहीं है, तो शीघ्र ही सभी संसाधन नष्ट हो जाएँगे। इसलिए मैंने कुछ कटिंग्स अपनी डायरी में रखी थी अथवा प्रबंधन की कुछ किताबों में अंडरलाइन किया था , उन सभी को जोड़कर एक आलेख के रूप में आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करना चाहता हूँ। उम्मीद है यह आलेख आपको अवश्य पसंद आएगा और मेरे व्यक्तिगत अनुभव आपके प्रोफेशनल जीवन में कहीं न कहीं मार्गदर्शन भी कर सकते हैं। इतना ही कह सकता हूँ कि चार दशकों की दीर्घ अवधि का यह निचोड़ है , अतः उन्हें अवश्य अमल में लाएँ। प्रबंधन गुरु पीटर ड्रकर ने कहा है कि आधुनिक व्यसाय के भूमंडलीकरण, बदलती तकनीकियाँ, श्रमिक शक्ति के बदलते पहलू, खुले आर्थिक उदारीकरण के